कितने लोग कहते होंगे ना
कि मैं सब समझता हूँ,
कितने लोग कहते होंगे ना
कि सब जानता हूँ मैं,
कितने लोग कहते होंगे ना
कि मैं सब जैसा नहीं हूँ,
आज मैं तुम्हें अपने बारे में बताता हूँ
मैं सब कुछ नहीं समझता
हाँ, पर समझने का प्रयास करता हूँ
कि वो सब समझ सकूँ जो समझने जैसा है।।
मैं सब कुछ नहीं जानता
मैं नहीं जानता किसी को रोकना
मैं नहीं जानता रूठे हुए को मनाना
मैं नहीं जानता मन के भाव व्यक्त करना
मैं नहीं जानता दुःखी को उसके दुःखों से निकलना।।
मैं सब जैसा ही हूँ
मैं रोज़ गलतियाँ करता हूँ
और करता हूँ उन्हें ना दोहराने
का भरसक प्रयास क्योंकि ये
ही सिखाती हैं कि फिर से क्या नहीं करना है
तो कैसे प्रयास करना छोड़ दूँ मैं...!!
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