मैं छत पर था आज मौसम काफ़ी खुशनुमा था हल्की-हल्की ठंडी हवा चल रही थी, और आसपास की छतों पर लड़के पतंगे उड़ा रहे थे. उन्ही में से एक पतंग मेरी छत पर आ गिरी. पतंग उड़ाना भी एक कला है जिस कला से मैं वंचित हूँ. अगर पतंग की डोर कच्ची होती हैं, तो जमीं पर आके तुरंत गिर जाती हैं. उसी तरह से मनुष्य के जीवन का डोर भरोसे और उम्मीद के सहारे पर चलता हैं. अगर भरोसा टूट जाता हैं तो उसकी हालत पतंग की तरह हो जाती हैं. इसलिए पतंग यह एक जीवन जीने की कला सिखाता हैं. #_shivvaam_ ✍️ शिवम् ( Shivam Pandit ) Image Clicked by - Me
बेवजह खुश रहिये, वजहें बहुत महंगी है..!❤️