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भीड़ और लोगों के अप्रूवल्स इतने भी मायने नहीं रखते जितना हम मान बैठते हैं.

भीड़ और लोगों के अप्रूवल्स इतने भी मायने नहीं रखते जितना हम मान बैठते हैं. लोगों से उम्मीद रखना और इंतज़ार करने के मामलों में मैं एकदम ज़ीरो हूँ, और इसीलिए लोग जैसे दिखते हैं वैसे होते नहीं है तो मैं शांति से बिना बताए कनेक्शन कट कर लेता हूँ और अपनी धुन में लाइफ एन्जॉय करता हूँ. उनसे जवाब की अपेक्षा रखना, माफ़ी की चाहत या मन में टीस रखकर अपनी एनर्जी को खत्म करना मेरा तरीका नहीं है. मैं सारी दुनिया को एथिक्स नहीं सिखा सकता, लेकिन मैं खुद की मानसिक शांति ज़रूर बना कर रख सकता हूँ. और वैसे भी भीड़ चाहिए किसको? इतने से जीवन में थोड़े से लोग चाहिए बस जिनसे मन मिलना चाहिए और थोड़ा सा सुकून, बस इत्तु सा चाहिए!