मुस्कुराना जरूरी है.❤
ये बात इस पर है कि आप समस्याओं में भी मुस्कुरा सकते है लेकिन आप मुस्कुराते नहीं है क्यूँकी आप समस्याओं से घिरे हुए है....मुस्कुराइए मुस्कुराना बेहद जरूरी है.
प्रिसिद्ध वेब सीरीज "दी फॅमिली मैन" देख रहा था यूँ तो देख चूका हूँ इस बार दूसरी दफा देख रहा हूँ उसमे श्रीकांत तिवारी के जीवन में कितनी समस्याएं थी ये तो आपने ध्यान ही दिया ही होगा....उसकी पत्नी से उसकी नोक-झोंक होती रहती है...उसका लड़का उसे ब्लैकमेल करता रहता है...बेटी उसका फ़ोन नहीं उठाती.
वो परिवार को समय देने के लिए अपनी एजेंट वाली जॉब छोडकर 9-5 कॉर्पोरेट जॉब करना स्टार्ट कर देता है....उसकी लाइफ में इतनी सारी समस्याएं होने के वाबजूद भी उसके चेहरे की मुस्कान नहीं गयी.
समस्याएं बड़ी नहीं होती, उन्हें बड़ा हम बनाते हैं. इसलिए समस्याओं को बड़ा नही खुद को बड़ा बनाइये समस्याओं के सामने और उनका मुस्कुरा कर सामना करो. ज़िंदगी है तो दिक्कतें भी आएंगी और इन्ही दिक्कतों का सामना करने के बाद इंसान मजबूत और नए नए अनुभव सीखता है जो जीवन जीने में काफ़ी हद तक मदद करते हैं.
हम ज़्यादा कुछ नहीं हो तो फिल्मी दुनिया की कुछ चीज़ें तो असल दुनिया में उतार ही सकते हैं जिसमें से एक है समस्याओं का हँसकर, उत्साह और बिना तनावग्रस्त हुए उनसे झूझे और अपनी मानसिक स्थिति को बिगड़ने ना दें. यदि ये हम पर हावी हुई तो ये हमें और हमारे परिवार को हानि पहुचायेंगी.
अगर आप अकेले है और आप इस बात से दुखी है कि साथ कोई नहीं हैं तो आप गलत हैं क्यूँकी खुद के साथ से बेहतर किसी का साथ नहीं होता. खुद में एक साथ खोजिये यकीन मानिये इन दिखावटी रिश्तों से बनावटी लोगों से कई गुना बेहतर हैं. क्यूँकी हम खुद का साथ अंतिम समय तक नही छोड़ते लेकिन बाकि सब रिश्ते एक न एक दिन खत्म हो जाने है.
ज़िंदगी और मौत जैसे मोमबत्ती के धागे के सिरों की तरह है, मोमबत्ती के जल उठने के बाद ही से धागा मोम के साथ जलना शुरु हो जाता है, और एक दिन जब मोम और धागा दोनों ख़त्म हो जाते हैं, तो सब ख़त्म हो जाता है.
दरअसल, धागे के दोनों सिरों के बीच जो है वही ज़िंदगी है, और हमें इस बात को सोचना ही चाहिए कि किस तरह इस बीच के सफ़र को यादगार और खुशनुमा बना सकते हैं बना सकते हैं और कितना खुलकर इसे जी सकते हैं, क्यूँकि अंत तो एक दिन आना ही है, मायने बस इस बात के हैं कि कितनी ख़ूबसूरती से इस जलते हुए धागे के साथ मुस्कुराएँ और हमने और आपने एंजॉय किया.
बस इतना ही कि जब तक है ज़िंदगी, तब तक जितना हो सके मन की सुनिए, खुलकर मुस्कुराइए, क्यूँकि ज़िंदगी कितनी है पता नहीं और वक़्त रेत की तरह हर लम्हा फिसल रहा है. इससे पहले कि मुट्ठी ख़ाली हो जाए इसे खुलकर जी लीजिए.
| Courtesy- Internet |
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