बाँटना बटोरना
ये बात इस बारे में है कि आप कुछ कर सकते हैं कभी-कभी किसी के लिए, लेकिन आप करते नही क्यूँकी आप करना नही चाहते.
हम ये सोच नही पाते कि इंसान होना बड़ी बात है, और उससे भी बड़ी बात है इंसान बने रहना. आप सक्षम हो या बने हो, उसमें बहुत सारे लोगों का योगदान होता है जिन्हें शायद हमने नोटिस भी न किया हो...जैसे स्कूल का चौकीदार या बस का ड्राइवर, सफ़ाई कर्मचारी या अन्य, आपके आसपास वाले लोग जिन्होंने कहीं न कहीं हमें इस लायक बनने के सफ़र को आसान बनाया होगा.
और अगर किसी भी तरह से आप क़ाबिल हो, तो दूसरों की मदद करना और वो भी निस्वार्थ भाव से, हमारा फ़र्ज़ बनता है. जो मिला है, वो वापस करना भी आना चाहिए. सिर्फ बटोरने भर को जीना कहते तो क्या ही बात होती. बल्कि कुछ बाँटना भी आना आवश्यक है.
एक मैडम है, पहचान की, काफ़ी सरल स्वभाव है उनका, वो कभी गाइड या सलाह देने से मना नही करती और संभवतः हर मदद करती है. और सही रास्ता भी सुझाती हैं अपने अनुभव के आधार पर. वह पेशे से शिक्षक है तो कभी-कभी गरीब बच्चों को या मुफ्त में पढ़ा देती है। आप किसी भी क्षेत्र में कार्यरत हों, किसी की मदद कर सकते है तो ज़रूर करें।
खुद मुझसे कभी-कभी कुछ लोग अपनी कोई परेशानी या समस्या डिसकस करते है तो मुझसे जितना हो सकता है उतनी सही सलाह या गाइड करने की कोशिश करता हूँ(मैं इतना बढ़ा भी नहीं हूँ कि किसी को सलाह दे सकूँ). इसलिए नही की मुझे मज़ा आता है बल्कि इसलिए कि कुछ लोगों को एक डायरेक्शन मिल जाता है, या उनकी सोच और नज़रिये को थोड़ा सा साफ कर पाता हूँ, तो बहुत ज़रूरी बात है मेरे लिए.
जीने का मतलब है अपने लिए जीना, और दूसरों की मदद करने के लिए जीना. अपने लिए तो जानवर भी जीते है, लेकिन इंसान ही तो है जिसे दूसरों की मदद करने का मौका मिलता है, और वो भी हम छोड़ दे तो क्या बात हो फ़िर.
कोई कुछ भी कहें, या कैसा भी रहे, लोग क्रेडिट दें या न दें उसकी परवाह न करते हुए अपने इंसान होने का फर्ज़ अदा करना ज़रूरी है.
और दरअसल क्रेडिट मिलने से ज्यादा ज़रूरी है वो मुस्कुराहट जो लोगों के चेहरे पर आती है, और वो दुआ में उठे हुए हाथ भी जिनमें कहीं न कहीं आप भी शामिल होते हैं, और ये वो ही इंसान समझ सकता है जो ऐसा करना जानता है।
Image Courtesy-: Internet
-Shivam

Comments
Post a Comment